टोडी महला ५ ॥ सतिगुर आइओ सरणि तुहारी ॥ मिलै सूखु नामु हरि सोभा चिंता लाहि हमारी ॥१॥ रहाउ ॥ अवर न सूझै दूजी ठाहर हारि परिओ तउ दुआरी ॥ लेखा छोडि अलेखै छूटह हम निरगुन लेहु उबारी ॥१॥ सद बखसिंदु सदा मिहरवाना सभना देइ अधारी ॥ नानक दास संत पाछै परिओ राखि लेहु इह बारी ॥२॥४॥९॥
हे गुरु! मैं तेरी सरन मैं आया हूँ। मेरी चिंता दूर कर (मेहर कर, तेरे दर से मुझे) परमात्मा का नाम मिल जाए, (यही मेरे लिए) सुख है, (यही मेरे लिए) शोभा है)।१।रहाउ। हे प्रभु! (में और सहारों से) हार के तेरे दर पर आ पड़ा हूँ, अब मुझे और कोई सहारा नहीं दिखता। हे प्रभु हम जीवों के कर्मो का लेखा मत कर। हम तभी बच सकते हैं, जब हमारे कर्मो का लेखा न किया जाए। हे प्रभु! हम गुणहीन जीवों को (विकारों से आप बचा लो)।१। हे भाई! परमात्मा सदा बक्शीश करने वाला है, सदा मेहर करने वाला है, वः सब जीवों को आसरा देता है। हे दास नानक। (तू भी अर्जोई कर और कह-) मैं गुरु की सरन आ पड़ा हूँ, मुझे इस जनम में (विकारों से) बचा के रख।२।४।९।