अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 18 सतंबर 2023

रामकली महला ५ ॥ जपि गोबिंदु गोपाल लालु ॥ राम नाम सिमरि तू जीवहि फिरि न खाई महा कालु ॥१॥ रहाउ ॥ कोटि जनम भ्रमि भ्रमि भ्रमि आइओ ॥ बडै भागि साधसंगु पाइओ ॥१॥ बिनु गुर पूरे नाही उधारु ॥ बाबा नानकु आखै एहु बीचारु ॥२॥११॥

अर्थ: हे भाई! गोबिंद (का नाम) जपा कर, सुंदर गोपाल का नाम जपा कर। हे भाई! परमात्मा का नाम सिमरा कर, (ज्यों ज्यों नाम सिमरेगा) तुझे उच्च आत्मिक दर्जा मिला रहेगा। भयानक आत्मिक मौत (तेरे आत्मिक जीवन को) फिर कभी खत्म नहीं कर सकेगी।1। रहाउ। हे भाई! (अनेकों किस्म के) करोड़ों जन्मों में भटक के (अब तू मनुष्य जनम में) आया है, (और, यहाँ) बड़ी किस्मत से (तुझे) गुरू का साथ मिल गया है।1। हे भाई! नानक (तुझे) यह विचार की बात बताता है- पूरे गुरू की शरण पड़े बिना (अनेकों जूनियों से) पार-उतारा नहीं हो सकता।2।11।

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