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Jagmal Singh : Waheguru ji



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रामकली महला ५ ॥ दीनो नामु कीओ पवितु ॥ हरि धनु रासि निरास इह बितु ॥ काटी बंधि हरि सेवा लाए ॥ हरि हरि भगति राम गुण गाए ॥१॥ बाजे अनहद बाजा ॥ रसकि रसकि गुण गावहि हरि जन अपनै गुरदेवि निवाजा ॥१॥ रहाउ ॥ आइ बनिओ पूरबला भागु ॥ जनम जनम का सोइआ जागु ॥ गई गिलानि साध कै संगि ॥ मनु तनु रातो हरि कै रंगि ॥२॥ राखे राखनहार दइआल ॥ ना किछु सेवा ना किछु घाल ॥ करि किरपा प्रभि कीनी दइआ ॥ बूडत दुख महि काढि लइआ ॥३॥ सुणि सुणि उपजिओ मन महि चाउ ॥ आठ पहर हरि के गुण गाउ ॥ गावत गावत परम गति पाई ॥ गुर प्रसादि नानक लिव लाई ॥४॥२०॥३१॥

अर्थ: (है भाई! जिस मनुष्य को गुरु ने परमात्मा का नाम ) दे दिया (उसका जीवन) पवित्र बना दिया । (जिसको गुरु ने) हरी नाम धन खजाना (दे दिया दुनिया वाला) यह धन (देखकर )वह (इसकी तरफ से) उपराम चित ही रहता है । गुरु ने जिस मनुष्य के जीवन मार्ग में से माया के मोह की रुकावट काट दी, उसको परमात्मा की भक्ति में जोड़ दिया, वह मनुष्य सदा परमात्मा की भक्ति करता रहता है। सदा परमात्मा के गुण गाता रहता है। है भाई , उसके अंदर यह चाव बना रहता है मानो उसके अंदर एक रस बजे बज रहे हो।



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Harpreet Singh : Dhan Guru Ramdass Sahib G



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Kuldip S Raheja : Sikhnama. Diya Salhya Nice Hun





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Rajpal singh : Waheguru ji



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Ninder Chand : Waheguru Ji
ninder : waheguru ji




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